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BALOD. प्रदेश में लंपी वायरस पैर पसार रहा है, बालोद जिले के मवेशियों में लंपी स्किन वायरस लगातार देखने को मिल रहा है। आंकड़ों की बात करें तो जिले में अब तक 361 पशुओं में लंपी वायरस के लक्षण पाए गए हैं। वहीं 5 मवेशियों की मौत भी हो चुकी है। जिनमें बछड़े भी शामिल हैं।
पशुओं की मौत से हड़कंप
डूंडेरा और माहुद गांव में पशुओं की मौत हुई है, जिसके बाद पशु विभाग में हड़कंप मच गया है और विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड पर आ गया है। फिलहाल शिविर लगाकर पशुओं का इलाज किया जा रहा है। साथ ही हर गांव के गौठानों में टीकाकरण के साथ-साथ किलनीनाशक दवाईयों का छिड़काव किया जा रहा है।
62 हजार पशुओं का गोट पॉक्स टीकाकरण
विभाग के अधिकारियों की माने तो जिले के 62 हजार से अधिक पशुओं का इस रोग से बचाव के लिए गोट पॉक्स टीकाकरण किया जा चुका है। टीकाकरण और उपचार नियमित रूप से किया जा रहा है। पशु विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डीके सिहारे के अनुसार पशुओं के बचाव के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है। जिले में 62 हजार से ज्यादा मवेशियों को टीका लगाकर सुरक्षित किया जा चुका है, फिर भी हमें सावधानी रखने की जरूरत है।
गौवंशीय पशुओं में फैलता है रोग
लंपी स्किन डिजीज गौवंशीय पशुओं में फैलने वाला विषाणुजनित संक्रामक रोग है। इस रोग का मुख्य वाहक मच्छर, मक्खी और किलनी है। इसके माध्यम से स्वस्थ पशुओं में यह संक्रमण फैलता है। रोगग्रस्त पशुओं में 2 से 3 दिन तक मध्यम बुखार का लक्षण मिलता है। इसके बाद प्रभावित पशुओं की चमड़ी में गोल-गोल गांठें उभर आती है, लगातार बुखार होने के कारण पशुओं के खुराक पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
दुग्ध उत्पादन क्षमता पर पड़ता है असर
इसकी वजह से दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन और भारसाधक पशुओं की कार्यक्षमता कम हो जाती है। रोगग्रस्त पशु दो से तीन हफ्ते में स्वस्थ हो जाते है। लेकिन शारिरिक दुर्बलता के कारण दुग्ध उत्पादन कई हफ्तों तक प्रभावित होता है। इस रोग से 10 से 20 प्रतिशत पशु प्रभावित होते हैं। इसमें से 1 से 5 प्रतिशत तक के पशुओं की मृत्यु संभावित है।